जहां बारिश में भीगते हुए पवार ने दिया था भाषण, क्या उस दुर्ग को भेद पाएंगे उदयनराजे?

Maharashtra News: महाराष्ट्र की सतारा सीट पर एक तरफ छत्रपति शिवाजी का वंशज है और दूसरी तरफ नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) संस्थापक शरद पवार का करीबी सहयोगी है. सतारा से सांसद बनने की होड़ में लगे दोनों उम्मीदवारों का कहना है कि क्षेत्र में आम

4 1 14
Read Time5 Minute, 17 Second

Maharashtra News: महाराष्ट्र की सतारा सीट पर एक तरफ छत्रपति शिवाजी का वंशज है और दूसरी तरफ नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) संस्थापक शरद पवार का करीबी सहयोगी है. सतारा से सांसद बनने की होड़ में लगे दोनों उम्मीदवारों का कहना है कि क्षेत्र में आम आदमी और नौकरियां तथा शिक्षा जैसे जमीनी स्तर के मुद्दे मायने रखते हैं.

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) नेता शशिकांत शिंदे के मुकाबले बीजेपी ने मराठा शासक के 13वें वंशज उदयनराजे भोसले को उम्मीदवार बनाया है. भोसले ने कहा, 'मैंने कभी भी चुनाव में या अपने जीवन में छत्रपति शिवाजी के नाम का इस्तेमाल नहीं किया. मैं एक आम आदमी की तरह रहता हूं.'

क्या बोले शरद पवार की पार्टी के नेता

पूर्व विधायक शिंदे के मुताबिक, सतारा में वोटर्स चाहते हैं कि उनका प्रतिनिधित्व एक आम इंसान करे. उन्हें शरद पवार पर भरोसा है, जो एक मजबूत राजनीतिक खिलाड़ी बने हुए हैं और अभी भी प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के काबिल हैं.

शिंदे ने कहा, 'नई पीढ़ी को एक इंडस्ट्रियल हब, गुड एजुकेशन, आईटी पार्क और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. यहां हजारों गन्ना किसान हैं लेकिन केंद्र की ओर से चीनी निर्यात पर प्रतिबंध ने उन्हें नाराज कर दिया है.'

सतारा संसदीय क्षेत्र में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होना है. इसका नाम इस क्षेत्र के सात किलों पर आधारित है. इसमें कराड उत्तर, सतारा, कराडा दक्षिण, पाटन, कोरेगांव और वाई विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

क्या है शिवाजी से संबंध

शिवाजी के नेतृत्व में मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में सतारा का गहरा ऐतिहासिक संबंध है. यह क्षेत्र मराठों और विदेशी आक्रमणकारियों के बीच कई लड़ाइयों की जगह भी रहा है.

राज्य के चीनी बेल्ट में स्थित इस निर्वाचन क्षेत्र में नौकरियों की कमी और खराब औद्योगिक और शैक्षिक बुनियादी ढांचे प्रमुख मुद्दे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हजारों युवा बेहतर शिक्षा के लिए पुणे या मुंबई जाते हैं.

साल 2019 में, भोसले ने अविभाजित NCP के उम्मीदवार के तौर पर लगातार तीसरी बार सतारा सीट जीती, लेकिन कुछ महीनों बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. आगामी उपचुनाव में वह बीजेपी उम्मीदवार के रूप में एनसीपी के श्रीनिवास पाटिल से हार गए.

उस तस्वीर ने बदल दी किस्मत

कहा जाता है कि सतारा में बारिश में भीगकर भाषण देते हुए 79 वर्षीय शरद पवार की तस्वीर ने पाटिल की जीत तय कर दी और उस साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी की किस्मत बदल दी.

तब से बहुत कुछ बदल चुका है. एनसीपी में एक बड़ा विभाजन देखने को मिला. मूल पार्टी के एक धड़े की अगुआई महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार कर रहे हैं. यह गुट बीजेप की अगुआई वाली महायुति का हिस्सा है, जिसमें मूल शिवसेना का एक धड़ा भी है.

शरद पवार वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस भी शामिल हैं.

सतारा था कांग्रेस का गढ़

परंपरागत रूप से सतारा कांग्रेस का गढ़ था, कुछ वर्षों तक शिवसेना ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1999 में जब शरद पवार ने कांग्रेस से नाता तोड़कर एनसीपी का गठन किया, तो यह उनकी पार्टी का मजबूत आधार बन गया.

वर्तमान में राज्यसभा सदस्य भोसले ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि उनकी पिछली जीत के पीछे शरद पवार की अहम भूमिका थी. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने बलबूते जीत हासिल की, किसी के नाम पर नहीं. आप यहां किसी से भी पूछ सकते हैं. मैंने जो काम किया, उसके कारण लोगों ने मेरी जीत सुनिश्चित की.'

भोसले ने कहा कि जब वह लोगों से मिलते हैं तो उन वादों के बारे में बात करते हैं जो उन्होंने पूरे किये हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने पिछले पांच वर्षों में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का काम कराया है.'

महाराष्ट्र में भाजपा के प्रचार अभियान की अगुआई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है, जिनमें भारी भीड़ उमड़ी है.

कुछ मतदाताओं ने एनसीपी के कराए गए कामों पर सवाल उठाया और उम्मीद जताई कि भोसले उनके मुद्दों को हल करने में सक्षम होंगे. कई लोग अपने विचार जताने से झिझक रहे थे. अधिकतर लोग इस बात से सहमत थे कि सतारा में अपने ऐतिहासिक जुड़ाव के कारण पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, हालांकि इसका अभी तक फायदा नहीं उठाया जा सका है.

अग्नीवीर योजना से नाराज हैं लोग

शिंदे के मुताबिक, सतारा से काफी लोग सशस्त्र बलों में हैं. उन्होंने कहा, "कुछ गांवों में हर घर का एक सदस्य सेना में है. लेकिन पुलिस या सेना में कोई नयी भर्ती नहीं हो रही है. हमारे लड़कों के पास अग्निवीर (जो चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा करते हैं) के रूप में भर्ती होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए लोग नाराज हैं.'

शिंदे ने अविभाजित NCP के सदस्य के रूप में 2009 और 2014 में सांगली जिले के अंतर्गत आने वाले कोरेगांव विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

उन्होंने कहा, 'मैं एक आदर्श शहर बनाना चाहता हूं. लोगों ने राज्य विधानसभा में मेरा काम देखा है. मैंने उनके साथ हुए अन्याय के बारे में बात की है. अब, मैं उनकी समस्याओं को संसद में उठाने की कोशिश करूंगा.'

इस निर्वाचन क्षेत्र में 16 उम्मीदवार मैदान में हैं और 18.6 लाख पात्र मतदाता हैं. महाराष्ट्र की 48 सीट के लिए लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 20 मई तक पांच चरण में हो रहे हैं और मतगणना चार जून को होगी. राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

(इनपुट-पीटीआई)

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Bihar Politics: बिहार की इस हॉट सीट पर कौन करेगा खेला? 2019 में 1 फीसद से भी कम वोटों से जीता था JDU प्रत्याशी

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का मतदान आखिरी चरण में एक जून को होना है। इस बार के आम चुनाव में जहानाबाद की चर्चा पिछले यानी 2019 के आम चुनाव मे हार-जीत के मार्जिन पर खूब हो रही। प्रत्याशी को लेकर वोटरों में बहुत अधिक माथा-पच

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now